Thursday, December 30, 2010

स्वभाव से होता है इंसान बड़ा

इंसान के बडे छोटे होने में उसके स्वभाव का बड़ा हाथ होता है। विनम्रशील व्यक्ति भले ही पद में छोटा या गरीब हो फिर भी वह अपने नम्र स्वभाव से अपने बडप्पन का परिचय दे देता है।



एक बार महात्मा एक नगर में पधारे। राजा के मंत्री ने राजा से कहा कि हमारे नगर में परम ज्ञानी संत पधारे है हमें चलकर उनका स्वागत करना चाहिए। लेकिन राजा के मन सत्ता का घंमड था वह मंत्री से बोला कि मैं राजा हूं और सभी मुझसे मिलने आते हैं बुद्ध को अगर मुझसे मिलना है तो वे खुद यहां आएगें मंत्री राजा को समझाते हुए बोला संत पुरुष जनता के लिए श्रद्धा के पात्र होते हैं इसलिए वह राजा से भी ऊपर होते हैं। अत: उनका आदर सम्मान करना हमारा फर्ज है। राजा ने कहा कि मैं जनता का गुलाम नहीं हूं मैं वही करूगा जो मुझे अच्छा लगेगा। तब मंत्री ने राजा को अपना इस्तीफा देते हुए कहा कि आपमें बडप्पन नहीं है मैं आपकी सेवा नहीं कर सकता। राजा ने मंत्री से कहा कि मै राजा हूं और राजा बडा होता हैं अपने बडप्पन के कारण ही मैं बुद्ध से मिलने नहीं जा रहा हूं। मंत्री बोला आप अपने घंमड को अपना बडप्पन मत समझिए महात्मा बुद्ध भी सम्राट शुद्धोधन के बेटे थे लेकिन धर्म की रक्षा के लिए उन्होने राज्य त्याग कर भिक्षु बनना स्वीकार किया। इतना सुनकर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह तुरंत राजगणों के साथ महात्मा बुद्ध का स्वागत करने पहुंचा।



कथा का अर्थ है कि विनम्रता ही इंसान को बड़ा और महान बनाती है। जो व्यक्ति पद और माया का घमंड करता है वह कभी सम्मान नहीं पाता।





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