Wednesday, April 27, 2011

सच कितना सच होता है

एक कहावत है कि खोटे सिक्के असली सिक्कों को चलन से बाहर कर देते हैं। क्योंकि खोटे सिक्के आसानी से और हर जगह उपलब्ध हो जाते हैं। कुछ ऐसे ही हालात आज योग, अध्यात्म, सिद्धि-चमत्कार, कुंडलिनी जागरण, यंत्र-तंत्र-मंत्र, सम्मोहन, वशीकरण तथा गुप्त विद्या आदि के क्षेत्र में हैं। सम्मोहन द्वारा पिछले जन्मों में ले जाना, मात्र कुछ ही दिनों में कुण्डलिनी जगा देना तथा आसानी से किसी की समाधी लगवा देना.... आदि ऐसे कितने ही धोके के व्यापार आज दुनिया में फल-फूल रहे हैं।
स्वार्थ व लालच- कहने का मतलब यह कतई नहीं है कि ये सिद्धि-चमत्कार तथा सम्मोहन, वशीकरण आदि सब झूंठ है। ये प्राचीन और गुप्त विद्याएं सोलह आना सच तो हैं किन्तु इनके नाम पर आज जो दुकाने खुली हुईं हैं, वे सरासर झूंठ हैं। क्योंकि ये दुकाने स्वार्थ और लालच को अपना उद्देश्य बना कर चल रही हैं।
निस्वार्थ व्यक्ति- चमत्कार, अतीत और भविष्य की जानकारी तथा पिछले जन्मों की यात्रा करना अवश्य संभव है, किन्तु ऐसा कर पाना उस अनासक्त योगी के( यानि कि ऐसा इंसान जिसके मन में किसी भी तरह का लालच तथा वाहवाही पाने की इच्छा न हो।) लिये ही सम्भव है जिसे इस दुनिया की किसी दौलत या प्रसिद्धि का लोभ न हो। पैसे और पब्लिसिटी के लोभ में आज, पिछले जन्मों में ले जाने की जो दुकानें खुली हुई हैं, वे उस गधे के समान हैं जो शेर की खाल ओढ़कर अपने आप को शेर साबित करने कोशिस करता है।

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