Thursday, March 13, 2014

एक दिन एक लड़की ने अपने पिता से पूछा

एक दिन एक लड़की ने अपने पिता से पूछा -: "मेरे
जन्मदिन पर आप मुझे क्या दोगे...??"
पिता ने कहा -: "अभी तो 6 महीने है और
अभी बहुत समय है.....।"
कुछ दिन बाद लड़की बीमार हो गई और उसे
अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.... चेकअप के बाद
बाहर आकर डॉक्टर ने पिता से कहा -:
"आपकी बेटी का दिल खराब हो गया है अगर उसे
नही बदला गया तो उसे
बचाया नही जा सकता।"
बाद में लड़की ने अपने पिता से पूछा -: "पापा आप
रो क्यों रहे हो .... मैं ठीक
तो हो जाऊंगी ना...??"
पिता ने रोते हुऐ कहा -: "हाँ बेटा तुम जरूर ठीक
हो जाओगी.....!!"
कुछ दिन बाद बेटी होश में आई तो उसने
अपनी माँ से अपने पापा के बारे में पूछा तो माँ ने
उसको एक पत्र दिया उसमें लिखा था.....
#बेटा ! अगर तुम इस लेटर को पढ़
रही हो तो इसका मतलब तुम ठीक हो .... कुछ
दिन पहले तुमने पूछा था कि मैं तुम्हें तुम्हारे
जन्मदिन पर क्या दूँगा .... मैं
नही जानता था कि मैं तुम्हें क्या दूँगा लेकिन अब
तुम्हारे लिये मेरा गिफ्ट मेरा 'दिल' है...!!!
लेकिन सॉरी बेटा इसके बाद अब मैं तुझे कुछ नही दे
पाऊंगा।
अपना और अपनी माँ का ख्याल रखना.....!!! "

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Don


Have a nice day


The Gita – Chapter 8 – Shloka 28

योगी पुरुष इस रहस्य को तत्त्व से जानकर वेदों के पढ़ने में तथा यज्ञ, तप और दानादि के करने में जो पुण्य फल कहा है, उस सबको नि:संदेह उल्लंघन कर जाता है और सनातन परम पद को प्राप्त होता है ।। २८ ।।

Whatever achievements are obtained by the study of the Vedas, by sacrifices, and by giving to charities, the Yogi goes beyond all of these achievements and achieves the ultimate goal and learns the ultimate secret: the attainment of the eternal Supreme state by constantly practicing Yoga.

Thursday, December 5, 2013

ईश्वर की तरफ से शिकायत:
मेरे प्रिय...
सुबह तुम जैसे ही सो कर उठे, मैं तुम्हारे बिस्तर
के पास ही खड़ा था। मुझे लगा कि तुम मुझसे कुछ बात करोगे। तुम कल या पिछले हफ्ते हुई किसी बात या घटना के लिये मुझे धन्यवाद कहोगे।
लेकिन तुम फटाफट चाय पी कर तैयार होने चले गए और मेरी तरफ देखा भी नहीं!!! फिर मैंने सोचा कि तुम नहा के मुझे याद करोगे। पर तुम इस उधेड़बुन में लग गये कि तुम्हे आज कौन से कपड़े पहनने है!!! फिर जब तुम जल्दी से नाश्ता कर रहे थे और अपने ऑफिस के कागज़ इक्कठे करने के लिये घर में इधर से उधर दौड़ रहे थे...तो भी मुझे लगा कि शायद अब तुम्हे मेरा ध्यान आयेगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जब तुमने आफिस जाने के लिए ट्रेन
पकड़ी तो मैं समझा कि इस खाली समय का उपयोग तुम मुझसे बातचीत करने में करोगे पर तुमने थोड़ी देर पेपर पढ़ा और फिर खेलने लग गए अपने मोबाइल में और मैं खड़ा का खड़ा ही रह गया। मैं तुम्हें बताना चाहता था कि दिन का कुछ हिस्सा मेरे साथ बिता कर तो देखो, तुम्हारे काम और भी अच्छी तरह से होने लगेंगे, लेकिन तुमनें मुझसे बात ही नहीं की...

एक मौका ऐसा भी आया जब तुम बिलकुल खाली थे और कुर्सी पर पूरे 15 मिनट यूं ही बैठे रहे,लेकिन तब भी तुम्हें मेरा ध्यान नहीं आया। दोपहर के खाने के वक्त जब तुम इधर- उधर देख रहे थे,तो भी मुझे लगा कि खाना खाने से पहले तुम एक पल के लिये मेरे बारे में सोचोंगे,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दिन का अब भी काफी समय बचा था। मुझे लगा कि शायद इस बचे समय में हमारी बात हो जायेगी,लेकिन घर पहुँचने के बाद तुम रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त हो गये। जब वे काम निबट गये तो तुमनें टीवी खोल लिया और घंटो टीवी देखते रहे। देर रात थककर तुम बिस्तर पर आ लेटे। तुमनें अपनी पत्नी,
बच्चों को शुभरात्रि कहा और चुपचाप चादर ओढ़कर सो गये।

मेरा बड़ा मन था कि मैं
भी तुम्हारी दिनचर्या का हिस्सा बनूं... तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताऊँ...
तुम्हारी कुछ सुनूं... तुम्हे कुछ सुनाऊँ। कुछ मार्गदर्शन करूँ तुम्हारा ताकि तुम्हें समझ आए कि तुम किसलिए इस धरती पर आए हो और किन कामों में उलझ गए हो, लेकिन तुम्हें समय ही नहीं मिला और मैं मन मार कर ही रह गया।
मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ। हर रोज़ मैं इस बात का इंतज़ार करता हूँ कि तुम
मेरा ध्यान करोगे और अपनी छोटी छोटी खुशियों के लिए मेरा धन्यवाद करोगे। पर तुम तब ही आते हो जब तुम्हें कुछ चाहिए होता है। तुम जल्दी में आते
हो और अपनी माँगें मेरे आगे रख के चले जाते हो। और मजे की बात तो ये है कि इस प्रक्रिया में तुम मेरी तरफ देखते भी नहीं। ध्यान तुम्हारा उस समय भी लोगों की तरफ ही लगा रहता है,और मैं इंतज़ार करता ही रह जाता हूँ। खैर कोई बात नहीं...हो सकता है कल तुम्हें मेरी याद आ जाये!!! ऐसा मुझे विश्वास है और मुझे तुम में आस्था है। आखिरकार मेरा दूसरा नाम...

आस्था और विश्वास ही तो है। .
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तुम्हारा ईश्वर...!!!""