Friday, July 30, 2010
मर्यादा सीखें रामायण से….
रामायण में ऐसे कई गूढ़ रहस्य छिपे हैं जो वर्तमान समय में हमें जीने की सही राह दिखाते हैं। रामायण में मर्यादाओं के पालन पर विशेष जोर दिया गया है। रामायण में ऐसे कई प्रसंग आते हैं जहां भगवान श्रीराम ने मर्यादाओं के पालन के लिए त्याग कर आदर्श उदाहरण पेश किया। श्रीराम ने मर्यादा के पालन के लिए 14 साल का वनवास भी सहज रूप से स्वीकार कर लिया। इसीलिए उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कहा गया।रामायण में ऐसे भी कई प्रसंग आते हैं जहां मर्यादा का पालन न करने पर पराक्रमी व बलशाली को भी मृत्यु का वरण करना पड़ा। जब भगवान राम ने किष्किंधा के राजा बालि का वध किया तो उसने भगवान से प्रश्न पूछा-मैं बेरी सुग्रीव प्याराकारण कवन नाथ मोहि मारा,प्रति उत्तर में जो बात राम ने कही वह मर्यादा के प्रति समर्पण को दर्शाती है-अनुज वधू, भग्नी, सुत नारी,सुन सठ ऐ कन्या सम चारीअर्थात अनुज की पत्नी, छोटी बहन तथा पुत्र की पत्नी। यह सभी पुत्री के समान होती है। तुमने अपने अनुज सुग्रीव की पत्नी को बलात अपने कब्जे में रखा इसीलिए तुम मृत्युदंड के अधिकारी हो।ऐसे ही मानवीय संबंधों को मर्यादाओं में बांधा गया है। इस प्रकार मर्यादाएं व्यक्ति के मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है। वर्तमान समय में जहां पाश्चात्य सभ्यता हमारे बीच घर करती जा रही हैं वहीं रामायण एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो हमें मर्यादाओं की शिक्षा दे रहा है।
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