Friday, April 20, 2012

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे यहाँ ठोकर देने वाला हर पत्थर नही होता क्यूं ज़िंदगी की मुसकिलो से हारे बैठे हो इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता!!

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